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हिमाचल नियमित समाचार

7 दिसंबर, 2020

 

विषय: संस्कृति और विरासत

 

क्या खबर है?

  • हिमाचल के पांच उत्पादों: चंबा धातु शिल्प, पांगी का थांगी, चंबा चुख, करसोग कुल्थ और  भरमौर के राजमा के लिए हिमाचल सरकार भौगोलिक संकेत (जीआई) प्राप्त करने का प्रयास करेगी।

 

भौगोलिक संकेत क्या है?

  • वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, जीआई टैग का उपयोग किसी उत्पाद के प्रतीक या नाम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता तथा कहीं और नहीं पाया जाता है।

 

जीआई टैग किन क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं?

  • कृषि उत्पाद, हस्तशिल्प, खाद्य पदार्थ, इंडुएट्रियल उत्पाद, पेय, आदि।
  • उदाहरण के लिए: कुल्लू शॉल, सोलापुर चद्दर, दार्जिलिंग चाय आदि।

 

जीआई टैग का महत्व:

  • औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिए, पेरिस समझौते के तहत जीआई को बौद्धिक संपदा अधिकारों का हिस्सा माना जाता है।

 

हिमाचल में ये पांच उत्पाद इतने खास क्यों हैं?

  1. चंबा धातु शिल्प: इनमें धातु की मूर्तियां और पीतल के बर्तन शामिल हैं जो चंबा के राजाओं के शासनकाल के दौरान कई 100 साल पुराने हैं। एक प्रसिद्ध प्लेट है जो पीतल की तरह मिश्र धातु से बनाई गई है, जिसमें देवी-देवताओं की आकृति खुदी हुई हैं।
  2. पांगी की थाँगी: यह हेज़लनट के समान एक खाद्य पदार्थ है। यह पांगी, जिला चंबा में उगाया जाता है।

तथा अपने अनोखे स्वाद और मिठास के लिए जाना जाता है।

  1. चम्बा का चुख: यह एक ‘चटनी’ है, जो कि खाद्य पदार्थ है। इसे हरी और लाल मिर्च से बनाया जाता है। यह मिर्च चंबा में उगाई जाती है और चटनी को पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाता है।
  2. करसोग कि कुल्थ: कुल्थ एक दाल है, जिसे हिमाचल में खरीफ की फसल के रूप में उगाया जाता है। इस कुल्थ में amono acid प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  3. भरमौर का राजमाह: यह जिला चंबा के भरमौर क्षेत्र में कुगती पास के क्षेत्र में उगाया जाता है, इसलिए इसे कुगतालु राजमाह भी कहा जाता है। यह प्रोटीन से भरपूर होता है और इसमें एक विशिष्ट स्वाद है जो इसे खास बनाता है।

 

हिमाचल के जीआई टैग:

वर्तमान में हिमाचल में आठ जीआई टैगहैं, जिनके नाम हैं: –

  • कांगड़ा चाय
  • बासमती
  • हिमाचली चुली (खुबानी) तेल, (किन्नौर)
  • हिमाचली काला जीरा, (किन्नौर)
  • चंबा रूमाल
  • कुल्लू कि शौल
  • कांगड़ा पेंटिंग
  • किन्नौरी शॉल

विशेष:

  1. कुल्लू शॉल और कांगड़ा चाय राज्य का पहला जीआई टैग था।
  2. भारत में 370 GI टैग हैं।

जीआई टैग कैसे मदद करता है?

यह नाम के दुरुपयोग को रोकता है और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिक्री के लिए बेहतर बाजार प्रदान करता है। जीआई पंजीकरण एक क्षेत्र को दिया जाता है न कि को व्यापार।

Source : Indian Express

इंडियन एक्सप्रेस

विषय: बुनियादी ढाँचा और सुविधाएँ

 

खबर क्या है?

  • श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, नेरचौक, मंडी में एक नया ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाया जाएगा।

 

ऑक्सीजन प्लांट की आवश्यकता:

  • COVID रोगियों में अचानक वृद्धि के कारण, अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी मांग है। बिना किसी रुकावट के ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए जल्द ही उपरोक्त अस्पताल में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाया जाएगा।

 

संयंत्र की क्षमता

  • संयंत्र की प्रस्तावित क्षमता 500 लीटर प्रति मिनट होगी।

 

अस्पतालों में ऑक्सीजन की आवश्यकता क्यों होती है?

  • ऑक्सीजन गैस का उपयोग श्वास संबंधी समस्याओं वाले रोगियों के लिए किया जाता है, जैसे COVID-19 में।
  • जब रोगी खुद को पर्याप्त रूप से सांस लेने में असमर्थ पाता है, तो एक उपयुक्त व्यवस्था द्वारा नाक के माध्यम से नियंत्रित दबाव के अनुसार ऑक्सीजन गैस रोगी को वितरित की जाती है जिससे उसे आराम मिले।

स्त्रोत: ट्रिब्यून हिमाचल अंक

विषय: हिमाचल सरकार की योजना

 

क्या खबर है?

  • मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कल्याण योजना हिमाचल प्रदेश, ने राज्य के अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से गरीब मुस्लिम परिवारों को कन्या विवाह, स्वास्थ्य और पेंशन में वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है।

 

योजना का उद्देश्य

  • गरीब व्यक्ति, जो अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, राज्य सरकार उन्हें 25000 / – रुपये उनकी बालिका के विवाह के लिए देगी, परिवार को चिकित्सा सहायता और विकलांग, विधवा तथा बुजुर्ग व्यक्तियों को पेंशन के माध्यम से मदद करेगी।

स्त्रोत: miracletech

आज का विशेष:

 

7 दिसंबर – सशस्त्र सेना झंडा दिवस

 

शहीदों के सम्मान के लिए 7 दिसंबर 1949 से देश भर में सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से हम उन लोगों को याद करते हैं जिन्होंने देश के सम्मान की रक्षा के लिए सीमाओं पर बहादुरी के साथ संघर्ष किया और शहीद हुए।

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